यह कार्यक्रम रेडियो सिलोन के पुराने श्रोता व मेरे मित्र योगेन्द्र शाण्डिल्य जी ने तैयार किया है। योगेन्द्र जी को पुराने गीतों के अलावा शेर-ओ-शायरी का भी शौक है और वे शेरों भरे प्रोग्राम बहुत पसन्द करते हैं। इस बार भी आपने इसी प्रकार की कोशिश की है। मैं उनका धन्यवाद करता हूँ इस पेशकश के लिए और आग्रह करता हूँ कि इसी प्रकार हमारा मनोरंजन करते रहें!
थीम परिकल्पना , आलेख एवम शेर.. योगेन्द्र शाण्डिल्य
थीम धुन : थीम धुन
चाँद तारों और आसमानों पर उदासी छाई है
मेरा सूनापन अब इनसे भी देखा नहीं जाता
सूनी आंखों से चाँद मुझे देखते जाता है
तुम आओ तो वो चैन से अलविदा कहे।
चाँद तारों से रोशनी की किरणें जुदा नहीं
तुम भी आ जाओ तो ये काएनात पूरी हो
आधी बीती रात लगे ,
जैसे आधी बीत गई हो ज़िंदगी
इससे पहले कि सवेरा हो
बची उमर की बात कहने दो
अपने वजूद पर तुमको भी नाज़ होगा सितारों
मेरे चाँद के पहलू में कभी ज़रा बैठकर देखो
कितने खूबसूरत पल दुनिया ने हमें दिये
चाँद तारों के साथ हम ही जागते हों जैसे
करवटें कई बदल के देख ली हमने
तेरी चाहतों को थपक के सुला न सके
हम इतना प्यार दामन में समेट नहीं पाते
दिल डरता भी है और ऐतबार भी करता है
इसी के साथ मैं योगेन्द्र शाण्डिल्य आपसे फिर मिलने की उम्मीद के साथ इजाज़त लेता हूँ। आशा है आज की यह गीतों भरे शेरों की पेशकश आप सभी को पसन्द आई होगी। धन्यवाद।